ऋग्वेद संहिता ॥ अथ प्रथमं मण्डलम् ॥ सूक्त - 2
- Destination Europe
- Added by Admin
- May 02, 2023

[ऋषि-मधुच्छन्दा वैश्वामित्र देवता-१-३] वायु ४-६ इन्द्र- ७९छन्-गायत्री
१०. वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंकृताः तेषां पाहि श्रुधी हवम् ॥ १ ॥
हे प्रियदर्शी वायुदेव हमारी प्रार्थना को सुनकर आप यज्ञस्थल पर आयें। आपके निमित्त सोमरस प्रस्तुत है, इसका पान करें ॥ १ ॥
११. वाय उक्थेभिर्जरन्ते त्वामच्छा जरितारः सुतसोमा अहविंदः ॥ २ ॥
हे वायुदेव ! सोमरस तैयार करके रखने वाले, उसके गुणों को जानने वाले स्तोतागण स्तोत्रों से आपकी उत्तम प्रकार से स्तुति करते हैं ॥ २ ॥
१२. वायो तव प्रपृञ्चती धेना जिगाति दाशुषे । उरूची सोमपीतये ॥ ३ ॥
हे वायुदेव आपकी प्रभावोत्पादक वाणी, सोमयाग करने वाले सभी वजमानों की प्रशंसा करती हुई एवं सोमरस का विशेष गुणगान करती हुई, सोमरस पान करने को अभिलाषा से दाता (यजमान) के पास पहुँचती है ॥३॥
१३. इन्द्रवायू इमे सुता उप प्रयोभिरा गतम् । इन्दवो वामुशन्ति हि ॥ ४ ॥
हे इन्द्रदेव ! हे वायुदेव ! यह सोमरस आपके लिये अभियुत किया (निचोड़ा गया है। आप अन्नादि पदार्थों के साथ यहाँ पधारे, क्योंकि यह सोमरस आप दोनों की कामना करता है ॥४॥
१४ वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू तावा यातमुप द्रवत् ॥ ५ ॥
हे वायुदेव ! हे इन्द्रदेव! आप दोनों अन्नादि पदार्थों और घन से परिपूर्ण हैं एवं अभिषुत सोमरस की विशेषता को जानते हैं। अतः आप दोनों शीघ्र ही इस यज्ञ में पदार्पण करे ॥५
१५. वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्कृतम्। मक्ष्वि१त्था धिया नरा ॥ ६ ॥
हे वायुदेव ! हे इन्द्रदेव! आप दोनों बड़े सामर्थ्यशाली हैं। आप यजमान द्वारा बुद्धिपूर्वक निष्पादित सोम के पास अति शीघ्र पधारें ।। ६ ।।
१६. मित्र हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम् धियं घृताचीं सायन्ता ॥ ७ ॥
घृत के समान प्राणप्रद वृष्टि-सम्पन्न कराने वाले मित्र और तरुण देवों का हम आवाहन करते हैं। मित्र हमें बलशाली बनायें तथा वरुणदेव हमारे हिंसक शत्रुओं का नाश करें ॥ ७ ॥
१७. ऋतेन मित्रावरुणावृतावृधावृतस्पृशा कर्तुं बृहन्तमाशाथे ॥ ८ ॥
सत्य को फलितार्थ करने वाले सत्ययज्ञ के पुष्टिकारक देव मित्रावरुणो! आप दोनों हमारे पुण्यदायी कार्यों (प्रवर्त्तमान सोमयाग) को सत्य से परिपूर्ण करें ॥८ ॥
१८. कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया। दक्षं दधाते अपसम् ॥ ९ ॥
अनेक कर्मों को सम्पन्न कराने वाले विवेकशील तथा अनेक स्थलों में निवास करने वाले मित्रावरुण हमारी क्षमताओं और कार्यों को पुष्ट बनाते हैं ।।९।।
Recent Post
View AllNidhivan foundation is a non-profit organization that works for Plant Trees.
Title: "Planting Trees: A Simple Act That Can Have a Huge Impact"Planting trees is one ...
The Major Oak
The Major Oak is a large, ancient oak tree located in Sherwood Forest, Nottinghamshire, Engla...